♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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जच्चा मेरी भोली –भाली री
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री
सास-नणद की चुटिया फाड़ै
आई गई का लहँगा री
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री
ससुर –जेठ की मूछैं फाड़ै
आए- गए का खेस उतारै
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री
जच्चा मेरी भोली –भाली री
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मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।
सासू की जगह मेरी अम्मा को बुला दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो
सासू का नेग मेरी अम्मा को दिला दियो
बक्से चाबी मेरी चोटी मैं बाँध दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।
ननद की जगह मेरी बहना को बुला दियो
ननदण का नेग मेरी बहना को दिला दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।