Last modified on 28 जून 2017, at 16:34

जड़: अेक / ओम पुरोहित ‘कागद’


जड़
ऊंड़ी बड़
आडी पड़ साम्भै
घेर-घुमेरदार रूंख नै!

जड़ रै ताण ई
रूंख करै बांथीड़ा
वायरै सूं अटल
ऊंचो उठ करै
हतायां आभै सूं!

रूंख नै साम्भै जड़
जड़ नै कुण साम्भै
पूछो हेत सूं
कदैई रेत सूं!