धूड में
धूण घाल्यां
ऊंदै माथै पड़ी
रूंख नै
हर्यो राखण
ढूंढै जळ
आभै सूं पताळ
साव मा है
जड़ रूंख री
मा रै ई होवै
इत्ता जाळ-जंजाळ!
धूड में
धूण घाल्यां
ऊंदै माथै पड़ी
रूंख नै
हर्यो राखण
ढूंढै जळ
आभै सूं पताळ
साव मा है
जड़ रूंख री
मा रै ई होवै
इत्ता जाळ-जंजाळ!