राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पढणो चायो हे बहन बनारस में ब्यांरा दादाजी।
जावण देय, बनासा थे यांही भणो जी।
थांका गुरुजी से पचरंग मोलियो थांकी गुराणी ने।
दिखणी रो चीर, बनासा थे यहीं भणो जी।
थांका गुरुजी ने मुरक्यां दोवड़ा थारी गुराणी ने
नौसर हार, बनासा थे मांही यांही भणो जी।