राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
छोटी गेंद जी हीरां मोत्यां से जड़ी,
जनेऊ दिराओ म्हाने आज की घड़ी।
छोटी गेंद जी हीरां मोत्यां से जड़ी
दादाजी जनेऊ दिराओ म्हाने आज की घड़ी।
बन्ना काहे री थारी दावत लेखनी,
किणजी साल पढ़ाया।
बन्नी सोना रही म्हारी दवात लेखनी,
बाबाजी साल पढ़ाया।