आओ हम
एक-एक पेड़ रोप
जन्म दिन मनायें
पिछले दिन आँधी में
हरे-हरे पेड़ गिरे
चिडियाँ भी रोयीं
थीं वनचर थे खूब डरे
आओ हम
झुके हुए तरुओं को
हाथ दे बचायें
धरती पर मानव जब
उतरा था रूप धरे
स्वागत में खड़े मिले
हाथों से फूल झरे
आओ हम
अपने इन पुरखों को
गले से लगायें
प्राणों को देते जो
भोजन ,जल ,वस्त्र हवा
हरते हैं पीड़ायें
धरकर के रूप दवा
आओ हम
हरे-हरफूल-पात
शाख पर उगायें
पेड़ों का होना ही
हम सबका होना है
पेड़ बिना जीवन का
बंजर हर कोना है
आओ हम
कटने से रोक इन्हें
लोकहित बढ़ायें