ओ नेना-अकिंचन मायक संतान
स्तब्ध! कएल नोरक- घृत स्नान
नहि छल भीजल पूरा देह
मात्र विभोर चंचल मोनक गेह
आँखिक चुआठ सँ नीर-स्नात
कयलक पुलकित मधुरी गात
टेढ़ औंठा पर खसैत नोर
श्रद्धा सँ बिजुकल पोरे-पोर
जन्म दिनक छल नवम बर्ख
नहि भेल विषाद नहि कोनो हर्ख
अनचोके मे कोन बुद्धि पसरल
जलसाक आश कछेर ससरल
अकचकाउ ने देखू संज्ञान
अवला मायक मनोविज्ञान
नेनाक मोन देलक झकझोरि
शैशव मे नीतिक हिल्कोरि
बाप त' गेलथि परलोक
माय भ' गेलि सुधबौक
आब किए कीनब मिठाइ
लेब अपन संत्रास नुकाय
एतवे त' कयने छलि माय
ईदगाह कथा सुनौलनि आइ
वाह! यौ प्रेमचन्द्र भाय
जन्म नहि देने छलि आजी
मुदा! पोता मारलक बाजी
एहि ठाम त' अछि कोखिक सुत
कुपात्र कोना कहाओत सपूत
फाटल नुआ देखि भेल विभोर
पकड़ि माय केँ चुआओल नोर
साड़ी कीनि ले कहलक लाल
नहि त' करबौ ह'म रंगताल
जन-दिन मनायब परुकाँ साल
सुनिते माय भेली मौन बेहाल
हे नाथ! एकसरि छोड़ि गेलहुँ परलोक
मुदा! अपन छाहरि सँ भरलहुँ इहलोक