Last modified on 23 अक्टूबर 2020, at 14:27

जन्म-भूमि / शैलेन्द्र

मेरी जन्म-भूमि,
मेरी प्यारी जन्म-भूमि !

नीलम का आसमान है, सोने की धरा है,
चाँदी की हैं नदियाँ, पवन भी गीत भरा है,
मेरी जन्म-भूमि, मेरी प्यारी जन्म-भूमि !

ऊँचा है, सबसे ऊँचा जिसका भाल हिमाला,
पहले-पहल उतरा जहाँ अंबर से उजाला,
मेरी जन्म-भूमि, मेरी प्यारी जन्म-भूमि !

हर तरफ़ नवीन मौज, हर लहर नवीन,
चरण चूमते हैं रूप मुग्ध सिन्धु तीन,
मेरी जन्म-भूमि, मेरी प्यारी जन्म-भूमि !

         इज़्ज़त प तेरी माता,
         यह जान भी निसार !
सौ बार भी मरेंगे हम,
         जन्में जहाँ इकबार !

1947 में रचित