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जन्म गीत / 5 / भील

भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

महादेव बाबो न कोरो कागद दी मोकल्यो,
काइ मान वाळी कतरिक दूर।।
आउँ रे आउँ बाबा, आरती को करूँ रे सेमान।।
आउँ रे आउँ बाबा, नर्याल मोलाउँ रे।
आउँ रे आउँ बाबा, कंकु मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, चोखा मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, अबिर मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, गुलाल मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, चन्दण मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, अगरबत्ती मोलाउँ रे।ं
आउँ रे आउँ बाबा, कपूर मोलाउँ रे।।
आउँ रे आउँ बाबा, फूल मोलाउँ रे।।

-बाबा जन्म के बाद चार-पाँच वर्ष के बीच महादेवजी की मान देने की प्रथा है।
गीत में कहा गया है कि महादेवजी ने कोरा कागज दे भेजा है। मान वाली महिला
कितनी दूरी से आ रही है?

उत्तर में कहा गय है कि मैं आ रही हूँ। नारियल, कंकु, चावल, अबीर, गुलाल, चंदन,
अगरबत्ती, कपूर और फूल पूजा के लिए खरीद रही हूँ। इस कारण आने में विलम्ब हो
रहा है।

महादेवजी की मान देने के लिए पहुँचे और जाजम बिछाकर भगवान शिव के सम्मुख
बैठ गई। साथ में सभी सम्बन्धी पुरुष-महिला रहते हैं और पूजन करने वाले पूजन
करते हैं और महिलाएँ गीत गाती हैं।