जन के पथ की
खबर खरी हो,
साँची हो,
बानी-बोली
प्राणवंत हो,
बाँकी हो,
मानववादी
सोच-समझ की साखी हो,
लोकतंत्र की
सत्यालोकित आँखी हो।
रचनाकाल: ०४-०४-१९९१
जन के पथ की
खबर खरी हो,
साँची हो,
बानी-बोली
प्राणवंत हो,
बाँकी हो,
मानववादी
सोच-समझ की साखी हो,
लोकतंत्र की
सत्यालोकित आँखी हो।
रचनाकाल: ०४-०४-१९९१