Last modified on 15 फ़रवरी 2018, at 17:07

जबकि / मोहन सगोरिया

पँखुरी गुलाब की
मशाल बन गई

ज़माना जाने क्या-क्या
कह-समझ रहा था

जबकि नींद से जागी थी पंखुरी
और धूप से सामना हुआ।