जब करूँ मैं काम,
प्रेरणा मुझको नियम हो,
जिस घड़ी तक बल न कम हो,
मैं उसे करता रहूँ यदि काम हो अभिराम!
जब करूँ मैं काम!
जब करूँ मैं गान,
हो प्रवाहित राग उर से,
हो तरंगित सुर मधुर से,
गति रहे जब तक न इसका हो सके अवसान!
जब करूँ मैं गान!
जब करूँ मैं प्यार,
हो न मुझपर कुछ नियंत्रण,
कुछ न सीमा, कुछ न बंधन,
तब रुकूँ जब प्राण प्राणों से करे अभिसार!
जब करूँ मैं प्यार!