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जब तक / इमरोज़ / हरकीरत हकीर

इक दरिया
खामोश मुहब्बत का दरिया और
सब नज्में
अनलिखी हो जायें
धरती पढ़े
या आसमां
लोग नहीं
जब तक
पढने योग्य नहीं हो जाते