मैं
जीवन की
सबसे लम्बी
कविता लिखूँगा
तुम्हारी हँसी के छन्द
जिसमें खिलखिलाएँगे
कई-कई
आकाश जब
तुम्हारी आँखों
की गहराई में
उतर रहे होंगे,
मैं कोई ख़ूबसूरत-सा
लफ़्ज़ तुम्हारी साँसों
की ख़ुशबू के लिए सोचूँगा
तुम्हारे
माथे की
सिकुड़ती हुई
लकीरों से शुरु
होगी मेरी कविता
रोम-रोम
उगे सन्दल
सी महकती
मेरी कविता
पृथ्वी की विशालता
को चूम लेगी
और
मैं चाहूँगा
कि यह सब
कभी ख़त्म न हो
जब तक रक्त है
साँसें हैं, प्यार है ।