माँ के आते ही
लौट आता है मेरा बचपन
मेरे असमय सफेद होते बालों
और झुर्रियाते चेहरे को देख
वह चिन्तित हो जाती है
और गठिया का दर्द भूलकर
बनाने लगती है
शुद्ध घी में गोद और मेवे के लड्डू
पिलाने लगती है ज़बरदस्ती
बादाम मिला मलाईदार दूध
झुँझलाती है बहू पर
जो नहीं रखती
उसके फूल से बेटे का ध्यान
जब खुश होती है
सुनाती है किस्से
जिसमें नन्हा राजकुमार
मैं ही होता हूँ
उस वक्त उसकी आँखों में
शैतानी से मुस्कुराता है
मेरा बचपन
जब तक माँ है
नहीं मर सकता
मेरा बचपन।