ठहर जाता है
विश्व एक बिन्दु पर
जब तुम नहीं रहतीं
रह रहकर
नशे में उठ पड़ता हूँ
जैसे तुम्हारी बाहैं
हवा में बहती
आ रही हों मेरी ओर
तुम्हारी जीभ, तुम्हारे वक्ष
नितम्ब तुम्हारे मुड़ मुड़
आते हैं हथेलियों पर
देखता रहता हूँ
अपनी उंगलियों को
जैसे तुमने परखा था उन्हें