जब पुकारती है कोयल | |
रचनाकार: | तो हू |
अनुवादक: | अरुण कमल |
प्रकाशक: | 'आवर्त' द्वारा प्रकाशित, केदारनाथ रोड, साहू लेन, मुजफ़्फ़रनगर। |
वर्ष: | 1983 |
मूल भाषा: | वियतनामी |
विषय: | -- |
शैली: | -- |
पृष्ठ संख्या: | --48 |
ISBN: | -- |
विविध: | -- |
इस पन्ने पर दी गयी रचनाओं को विश्व भर के योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गयी प्रकाशक संबंधी जानकारी प्रिंटेड पुस्तक खरीदने में आपकी सहायता के लिये दी गयी है। |
- लौटने वालो / तो हू
- जाड़ा / तो हू
- कविता की बात / तो हू
- आया / तो हू
- जाओ छोटे भाई जाओ / तो हू
- तब से / तो हू
- कवि गियन दु के प्रति / तो हू
- माताएँ / तो हू
- बूढ़ी माँ / तो हू
- दो दुश्मन / तो हू
- चाचा हो कि राह पर / तो हू
- लेनिन की कुटिया / तो हू
- पर्वत और पानी हज़ारों मील तक / तो हू
- झाड़ू की आवाज़ / तो हू
- कविता की पहली पाठशाला / तो हू
- फाम हांग थाय / तो हू
- अंतिम शब्द / तो हू
- वसन्त का गीत / तो हू
- रक्त और फूल / तो हू
- मुखिया / तो हू
- शाम / तो हू
- तीन आवाज़ें / तो हू
- मेरी चिड़िया / तो हू