जब मैं वाताहत झरते फूल सरीखी उस के पैरों में जा गिरी, तब उसने निर्मम स्वर में पूछा- जिस देवता के वरदान का भार सहने की क्षमता तुझ में नहीं थी, उसे तूने अपनी आराधना द्वारा क्यों प्रसन्न किया?