जमाल सुरैया
जन्म | 1931 |
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निधन | 09 जनवरी 1990 |
उपनाम | Cemal Süreya |
जन्म स्थान | ऐरज़िनकान, तुर्की |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
एवरसिंका (1958), घुमन्तू (1965), मेरा चुम्बन लो और फिर मेरी नस्ल बनाओ (1973), प्रेमगीत (1984), झरने का मुहाना (1988), गर्म नाल (1988), प्रेम कविताएँ (1990) | |
विविध | |
बीसवीं शताब्दी के मध्य की तुर्की कविता में ‘द्वितीय नववादी’ परम्परा के अगुआ जमाल सुरैया को प्रेम-कविताओं का कवि माना जाता है। अपने समकालीन कवियों अदीब जानसेवेर, तुर्गुत उयार और सज़ाई काराकोच — जिनके लेखन में शहरी अकेलापन, अजनबीपन जैसे अस्तित्ववादी और उत्तर-आधुनिक प्रतीकों का बाहुल्य रहा — की तुलना में जमाल की कविता में प्रेम एक भिन्न स्वरूप में मौजूद है, जो न महान ओस्मानी शाइर फ़ुज़ूली में दिखता है और न ही नाज़िम हिकमत की कविताओं में। जमाल का वास्तविक नाम जमालुद्दीन सबर था। पुर्तगाली कवि फर्नांदो पेसोआ की तरह उन्होंने भी कई छद्म नामों से कविताएं लिखीं। अपने कवि मित्र सज़ाई काराकोच से एक शर्त हार जाने के बाद अपने नाम से एक ‘य’ को हटाकर वह जमाल ‘सुरैय्या’ से जमाल ‘सुरैया’ हो गए। जमाल ने पापीरुस नामक साहित्यिक पत्रिका का सम्पादन किया। जमाल सुरैया को तुर्की कविता की ’दूसरी नई पीढ़ी’ में शामिल किया जाता है। वे तुर्की साहित्य में चले बेतुकी कविता और पोस्टमाडर्न कविता आन्दोलनों में भी शामिल रहे। | |
जीवन परिचय | |
जमाल सुरैया / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- तुमने अपने पिता को खोया कभी ? / जमाल सुरैया / निशान्त कौशिक
- एक रोज़ / जमाल सुरैया / निशान्त कौशिक
- 8:10 का जहाज़ / जमाल सुरैया / निशान्त कौशिक
- मेरी सांस एक सुर्ख़ परिन्दा है / जमाल सुरैया / निशान्त कौशिक
- गर कम भी जिया तो क्या ? / जमाल सुरैया / निशान्त कौशिक
- तस्वीर / जमाल सुरैया / निशान्त कौशिक
- दो दिल / जमाल सुरैया / निशान्त कौशिक