जयति रसिकिनि राधिका जयति रसिकनंदनंद,
जयति चारु चंदावली जय वृंदावनचंद।
जय ब्रजराज, जमुनजल जय गिरिवर नंदगांव,
बरसाने वृंदा विपिन नित्य केलि को धाय।
जयति माध्वमत माधुरी जयति कृष्ण चैतन्य,
जयति सदा हरिवंश हित व्यास सुरसिकानन्य।
करो कृपा सब रसिक जन मो अनाथ पै आय,
दीजै मोहि मिलाय श्री राधावर जदुराय।
नहिं धन कौ नहिं मान की नहिं विद्या की चाह,
युगलप्रिया चाहै सदा जुगल स्वरूप अथाह।