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जयति स्वदेश / छेदी झा 'मधुप'

जयति स्वदेश ए ए ए!
दिव्य भाल विशाल नगवर,
ललित तुहिन त्रिपुण्ड सिततर,
धवल धार सु-हार उरपर अति मनोहर वेश।
विविध भूषण कुसुम सज्जित,
हरित तृणचय वसन मज्जित,
सुमन सर लखि होथि लज्जित विमल छवि रतनेश।
युगल रवि-शशि नयन दमकथि,
खड्ग गंग तरंग चमकथि,
बिन्ध्य ढाल कराले धमकथि, चरण लुठित जलेश।
चढ़ि लता तह कुंज पल्लव,
मुदित खगकुल करथि कलरव,
गाबि भारत-कीर्ति अभिनव देथि जनु सन्देश।