झज्जर जिले के रईया गांव में सन् 1946 में साधारण किसान परिवार में जन्म। 1985 से जनवादी नौजवान सभा के माध्यम से वामपंथी विचारों से जुड़े और रागनी लेखन में सक्रिय हुए। शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष चेतना इनकी रागनियों का प्रमुख स्वर है। “सुण के कमेरे” नाम से रागनी-संग्रह प्रकाशित हो चुका है।