हे माँ भवानी! दिव्यरूपा
लाया हूँ श्रद्धा सुमन॥
हे आदिशक्ति विश्वरूपा
है तुम्हें शत-शत नमन॥
उस नादब्रह्म की स्रोत तुम हो
जिससे जग सृजित हुआ।
भ्रमणशील हैं ग्रह व तारे
विश्व आलोकित हुआ॥
तुमने रचे नक्षत्र सारे
इनसे शोभित है गगन।
हे आदिशक्ति विश्वरूपा
है तुम्हें शत-शत नमन॥
निर्मित हुए उत्तुंग पर्वत
हिम से मण्डित हैं शिखर।
तेरी दया से दीप्त हैं
आदित्य की किरणें प्रखर॥
शशि की अद्भुत हैं कलाएँ
तुममें हैं शशिधर मगन।
हे आदिशक्ति विश्वरूपा
है तुम्हें शत-शत नमन॥
माँ कर कृपा, सुख शांति से
संतृप्त यह संसार हो।
हे शक्तिदा! तुम शक्ति दो
यह भक्त भव से पार हो॥
स्वास्थ्य-सम्बल युक्त तन हो
अवगुणों से मुक्त मन।
हे आदिशक्ति विश्वरूपा
है तुम्हें शत-शत नमन।
हे माँ भवानी! दिव्यरूपा
लाया हूँ श्रद्धा सुमन॥
हे आदिशक्ति विश्वरूपा
है तुम्हें शत-शत नमन॥