जय श्री जमुने कलिमल-तारिनि।
करु करुना प्रीतम की प्यारी भँवर तरंग मनोहर धारिनि॥
पुलिन बेलि कुसुमित सोभित अति कंचन चंचरीक गुंजारिनि।
बिहरत जीव जंतु पसु पंछी स्याम रूप-रस रंग बिहारिनि॥
जेजन मज्जन करते विमलजल तिनको सब सुख मंगल कारिनी।
जुगल प्रिया हूजै कृपालु अब दीजै कृष्णभक्ति अनपायिनी॥