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जलवा पूजन / भील

भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मुकेश भाई घर कइ हुयो रे, मारा नाना सुरमुलिया।।
पोर्यो हयो पोरी हुई, हँव कउँ हीरालाल हुयो।।
अनीता बाई काई वाटे रे, नाना सुनमुलिया।।
लाडू वाटे पेड़ा वोटे, हँउ कहुँ पतासा वाट।।
दिनेश व्याई घर कइ हुयो, मारा नाना सुरमुलिया।।
उंदरो हुयो उुंदरी हुई, हँउ कहुँ छछूंदरो हुयो।।
मन्नीव्याण काई वाट, मारा नाना सुरमुलिया।।
धणा वाटे, चणा वाटे, हँउ कहुँ सणबीजा वाट।।

-मुकेश भाई के यहाँ क्या हुआ? मेरे छोटे सुरमुलिया (बच्चे का प्यार का नाम) लड़का हुआ या लड़की हुई, मैं कहती हूँ हीरालाल हुआ। अनीताबाई (मुकेश की बहन) क्या वितरण कर रही हैं? लड्डू बाँट रही हैं, पेडे़ बाँट रही हैं, मैं कहती हूँ कि बतासे बाँट। दिनेश भाईजी के घर क्या हुआ? चूहा हुआ या चूही हुई, मैं कहूँ छछूंदर हुआ। मुन्नी बाईजी क्या बाँटे? वह चने बाँट रही है, मैं कहती हूँ सन के बीज बाँट। इस प्रकार हँसी-मजाक के लिए यह गीत गाया जाता है।