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जल्दी तारोॅ /रवीन्द्र चन्द्र घोष

आवोॅ जल्दी तारोॅ हमरा
मँझधारोॅ में हम्में फँसी गेलाँ
जंगल, काँटा, कूसोॅ एतना
झाड़ी में हम्में फँसी गेलाँ।
दौड़ोॅ, नै तेॅ डूबी जैतै
नाविक आबेॅ घबरावै छै
पुरवैया केरोॅ झोंका एतना
पतवारो नै आवी थामै छै ।
 
घुमावै छियै हथकण्डो तेॅ
कहाँ तैयो सुनै छै
पालोॅ केॅ उड़ैलेॅ जाय छै
धारा भी तेॅ बेगै में छै ।

पापोॅ आरो पुण्य केरोॅ
लेखा-जोखा करै छियै
पापोॅ केरोॅ पलड़ा बहुते
भारी यहाँ लागै छै
गलती जे हमरा सें होलोॅ
आइन्दा एन्हो नै होतै
जल्दी तारोॅ आवेॅ हमरा
नैया हमरोॅ डूबी जैतै ।