जीवन धारण के लिए,
जल ही है आधार,
प्रात: काल ही जागते,
लग जाती है प्यास।
पानी हर बूंद में,
बसते हैं सब देव,
वरुण देव की कृपा हो,
घर-घर समृद्दि होय।
अमृत जल को बचाइये,
सबके हित की बात,
प्र्कृति हमारी सहचरी,
उसकी है सौगात।
पानी हर स्रोत को,
सदा नवायें माथ,
तभी भूखी रह पाओगे,
हर विपदा में आप।