अब नदी में जल
नहीं है
पत्थरों पर
लेटकर खामोश,
बादलों का पढ़ रही अफसोस
सत्य है अटकल नहीं है
अब नदी में जल
नहीं है
दूर, कितने
दूर हैं अब तट,
आती नहीं पदचाप की आहट
पक्षियों की भी, कोई
हलचल नहीं है
अब
नदी में
जल नहीं है
अब नदी में जल
नहीं है
पत्थरों पर
लेटकर खामोश,
बादलों का पढ़ रही अफसोस
सत्य है अटकल नहीं है
अब नदी में जल
नहीं है
दूर, कितने
दूर हैं अब तट,
आती नहीं पदचाप की आहट
पक्षियों की भी, कोई
हलचल नहीं है
अब
नदी में
जल नहीं है