जसुदा के लालन प्यारे कब कुंजों में विहरोगे?
कब हे आराध्य हमारे हमसे फिर आन मिलोगे?
सुख से ही परिपूरित होगा मिट जायेंगे वलेश।
केवल ‘लली’ इसी आशा पर जीवित है यह देश।
जसुदा के लालन प्यारे कब कुंजों में विहरोगे?
कब हे आराध्य हमारे हमसे फिर आन मिलोगे?
सुख से ही परिपूरित होगा मिट जायेंगे वलेश।
केवल ‘लली’ इसी आशा पर जीवित है यह देश।