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जहाँ गोरष तहाँ ग्यान गरीबी / गोरखनाथ

जहाँ गोरष तहाँ ग्यान गरीबी
            दुँद बाद नहीं कोई ।
निस्प्रेही निरदावे षेले
            गोरष कहीये सोई ।।