जहाँ शब्द होते हैं
और
देह नहीं जादू
वहाँ जाने की इच्छा लिए
वह लम्बे सफ़र पर निकल पडती है
हाथ में
लाठी-गठरी
कुछ भी नहीं
दूर के सफ़र के वास्ते
उसने शरीर को भी गिरवी रख दिया है
पृथ्वी के पास !!
जहाँ शब्द होते हैं
और
देह नहीं जादू
वहाँ जाने की इच्छा लिए
वह लम्बे सफ़र पर निकल पडती है
हाथ में
लाठी-गठरी
कुछ भी नहीं
दूर के सफ़र के वास्ते
उसने शरीर को भी गिरवी रख दिया है
पृथ्वी के पास !!