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जहानाबाद / दिनकर कुमार

जो चूल्हे कभी ठीक से सुलगे नहीं
उन चूल्हों ने चखा
बारूद का स्वाद

पंचायत की पथराई आँखें
पढ़ती नहीं
भारतीय दंड संहिता की
पहेलियाँ

लक्ष्मणपुर बाथे हो या
शंकरबीघा
गिद्धों का झुँड
उमड़ता है
हरेक दिशा से

वे भूखे पेट ही लोरी सुनकर
सोनेवाले बच्चे थे
अनपढ़ स्त्रियाँ थीं
आज़ादी की साजिश के शिकार
पुरूष थे
जिन्हें प्रभुओं की सेना ने
मार डाला

जहानाबाद आपके मानचित्र पर
एक काला धब्बा है
और भूखे नंगे लोगों की
आँखों में
आग का गोला