जहिया भइल गुरु उपदेस। अंग-अंग कै मिटल कलेस ।। 1।।
सुनत सजग भयो जीव। जनु अगिनि परै घीव ।। 2।।
घर उपजल प्रभु प्रेम। छुटिगे तब ब्रत नेम ।। 3।।
जब घर भइल अँजोर। तब मन मानल मोर ।। 4।।
देखे से कहल न जाय। कहले न जग पतियाय ।। 5।।
धरनी धन तिन भाग। जेहि उपजल अनुराग।।