अपनी ही छाया से डर लगता है
अपने ही स्वप्न
आतंकित करते-से लगते हैं
तुम ज़द में तो हो
पर किसी के ज़द में होने का ख्याल ही
कितना अजीब है
कितना भारी पड़ रहा है
प्यार दिलों-दिमाग़ पर!
अपनी ही छाया से डर लगता है
अपने ही स्वप्न
आतंकित करते-से लगते हैं
तुम ज़द में तो हो
पर किसी के ज़द में होने का ख्याल ही
कितना अजीब है
कितना भारी पड़ रहा है
प्यार दिलों-दिमाग़ पर!