पूछते हो ज़मीन का ज़मीर क्या है?
गर्वीले हिमालय को देखते हो
जो सिर ऊँचा किए
सीना ताने खड़ा है,
और अपने बड़प्पन का एहसास दिलाता है।
ऐसा दिखता है मानो सारे का सारा
आकाश उसने अपने कंधे पर टेक रखी हो
लेकिन क्षण भर को ज़रा सोचो तो सही
अगर ज़रा-सी ज़मीन अपनी जगह से खिसक जाए
तो समूचे का समूचा हिमालय कहाँ चला जाएगा
पता ही न चले कि वह कहाँ गया?
यही है ज़मीन का ज़मीर।