तुम हारो नहीं
कमज़ोर न पड़ो
इसके लिए ज़रूरी है
कि दु:ख के
अवमानना के घृणा के
धनीभूत क्षणों में
तुम नितांत अकेले हो
याद रहे
तुम हारो नहीं
कमज़ोर न पड़ो
इसके लिए ज़रूरी है
कि दु:ख के
अवमानना के घृणा के
धनीभूत क्षणों में
तुम नितांत अकेले हो
याद रहे