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ज़िंदगी गुलजार कर / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

ज़िंदगी गुलजार कर।
आ मुझे तू प्यार कर।।

ये पवन ले चल उड़ा।
सात समन्दर पार कर।।

गर मिले मझधार तो।
हाथ दो-दो चार कर।।

कृष्णा कन्हैया बनो।
यार का उद्धार कर।।

गोपियों के संग तुम।
रास को रसधार कर।।

राधा से तुम प्यार कर।
बाग को मनुहार कर।।