ज़िन्दगी का उधार है मुझ पर
हर कोई लेनदार है मुझ पर
रोज़ भरपूर वार है मुझ पर
आपका इतना प्यार है मुझ पर
ज़िन्दगी क्या तेरी हिफ़ाज़त का
सारा दार-ओ-मदार है मुझ भर
जा रही है वज़ीर की गाड़ी
राह का सब गुबार है मुझ पर
अपने हक़ के लिए न लड़ पाया
ये जहालत की मार है मुझ पर