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ज़िन्दगी का हिसाब रखता हूँ / कुमार नयन

ज़िन्दगी का हिसाब रखता हूँ
अपने हक़ का अज़ाब रखता हूँ।

मेरी आंखों को तो पढ़े कोई
मैं भी दिल में किताब रखता हूँ।

सोचकर चुप हूँ कुछ सवालों पर
वरना मैं भी जवाब रखता हूँ।

नींद आती नहीं है पहले सी
जब से आंखों में ख़्वाब रखता हूँ।

मुझसे मत पूछिए कि क्यों कब से
मैं ये सूखा गुलाब रखता हूँ।

आग नफ़रत की जल न पायेगी
प्यार का दिल में आब रखता हूँ।