"ज़िन्दगी बीत रही है,
लूट लो वक़्त का वैभव,
इसके पहले कि सो जाओ
नींद न टूटने वाली;
भर लो काँच के पैमाने को सुर्ख़ शराब से नौजवान,
भोर हुई जग जाओ"
अपने नंगे बर्फ़ीले ठण्डे कमरे में
नौजवान उठा सुनकर चीत्कार
फ़ैक्ट्री की सीटी की,
जो देरी के लिए माफ़ नहीं करती