बरसों की मेरी नींद रही।
बह गया समय की धारा में जो,
कौन मूर्ख उस को वापस माँगे?
मैं आज जाग कर खोज रहा हूँ
वह क्षण जिस में मैं जागा हूँ।
मोती बाग, नयी दिल्ली, 18 जून, 1957
बरसों की मेरी नींद रही।
बह गया समय की धारा में जो,
कौन मूर्ख उस को वापस माँगे?
मैं आज जाग कर खोज रहा हूँ
वह क्षण जिस में मैं जागा हूँ।
मोती बाग, नयी दिल्ली, 18 जून, 1957