भोर भेलै अबेॅ जागोॅ मुसाफिर
राम नाम तोंय सुमरोॅ मुसाफिर
सुतिये सुती तोंय रात बितैल्हेॅ
परभु चरणों में लोगोॅ मुसाफिर
सांस-सांस जपोॅ नाम के माला
करमों के धुवोॅ दागोॅ मुसाफिर
मौका चुकला पर मन पछतैथौं
गुरू सेॅ नेह तोंय करोॅ मुसाफिर
सगा संबंधी काम नै ऐत्हौं
‘राम’ विचारवान बनोॅ मुसाफिर।