Last modified on 1 दिसम्बर 2020, at 19:30

जागो भारतवासी (मुक्तक) / शंकरलाल द्विवेदी

उतर चुका जिन की आँखों से लाज-शर्म का पानी।
उन ग़द्दारों ने माँटी की क़ीमत कब-कब जानी।।
अच्छा हो यदि और अधिक वे स्वाँग नहीं भर पाएँ,
जागो भारतवासी! उन की मेंटो नाम-निशानी।।