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जाड़े की धूप / राहुल राजेश

बड़े दिनों बाद निकली है
जाड़े की धूप

बादलों बारिशों कुहासों से
करके भरदम
गुत्थम गुत्थी

गुलाबी नहीं

खेतों में पके धान की
बालियों-सी लहलहाती

सुनहली

बड़े दिनों बाद
मन भी खिला है

मानो
सारे गीले कपड़े
सूख गये हों

अचानक !