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जाड़े की सुबह / ऊलाव हाउगे

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आज जब मैं जागा
तो काँचों पर बर्फ़ थी
पर मैं एक अच्चॆ सपने से
गरमाया हुआ था।

पर आतिशदान
कमरे में गर्मी फैला रहा था
लकड़ी के एक टुकड़े ने
उसे गुनगुना बनाए रखा था।


अंग्रेज़ी से अनुवाद : रुस्तम सिंह