बैठ डाल पर
धूप निहारे
जाड़े में गौरैया।
दूर-दूर तक दिखे न कोई
राहगीर राहों में
और नदी के तीर विराजे
धुंध बंधी नावों में।
रह रह ठिठुरे
पंख संभाले
जाड़े में गौरैया।
कांपें बूढ़े बरगद ऐसी
हवा चले जंगल में
बड़े-बड़े बलशाली आए
जाड़े के चंगुल में।
खिलता फूल
देख मुस्काए
जाड़े में गौरैया।