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जाड़े में गौरैया / सुरेश विमल

बैठ डाल पर
धूप निहारे
जाड़े में गौरैया।

दूर-दूर तक दिखे न कोई
राहगीर राहों में
और नदी के तीर विराजे
धुंध बंधी नावों में।

रह रह ठिठुरे
पंख संभाले
जाड़े में गौरैया।

कांपें बूढ़े बरगद ऐसी
हवा चले जंगल में
बड़े-बड़े बलशाली आए
जाड़े के चंगुल में।

खिलता फूल
देख मुस्काए
जाड़े में गौरैया।