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जादुई दर्पण / विनोद शर्मा

सुना है कि एक जादूगर के पास एक जादुई दर्पण था
एक दिन उसने दर्पण से पूछा
कि दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत कौन थी?
दर्पण में एक शक्ल दिखाई दी
जादूगर ने उसे पाने की कोशिश की
मगर वह भूल गया
कि समय के साथ ढल जाती है जवानी
और बदलती रहतीहै
दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत
इसलिए उसने कई बार दर्पण में झांका
और कई औरतों के चेहरे देखे
अन्ततः उन्हीं में से एक औरत
उसकी मौत का कारण बनी
काश वह जान पाता कि उसका जादुई दर्पण
अहंकार के कांच
और वासना की पॉलिश से बना था

सुना है कि स्नोवाहट की सौतेली मां
के पास भी एक जादुई दर्पण था
जब भी वह उससे पूछती कि
दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत कौन थी
तो दर्पण में उसे उसी की शक्ल दिखाई देती
मगर वह भूल गई
कि समय के साथ ढल जाती है जवानी
और बदलती रहती है दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत
इसलिए एक दिन जब उसे दर्पा में
स्नोवाहट का चेहरा दिखाई दिया तो वह
नाराज हो गई और उसने स्नोवाहट की
हत्या का षड़यंत्र रचा
मगर वह सफल न हुई
और अन्ततः उसे अपनी करनी का फल भोगना पड़ा
काश वह जान पाती कि
उसका जादुई दर्पण अहंकार के कांच और
ईर्ष्या की पॉलिश से बना था

मेरे पास भी एक जादुई दर्पण है
मेरे प्यार के कांच और
तुम्हारे प्रति निष्ठा की पॉलिश से बना
मैं उससे कुछ नहीं पूछता
मगर मुझे उसमें हमेशा तुम्हारी छवि दिखाई देती है
जानता हूं कि तुम हमेशा जवान नहीं रहोगी
मगर मेरे लिए तुम हमेशा दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत
जरूर बनी रहोगी।