Last modified on 29 जुलाई 2019, at 04:45

जानते तो हो / कृष्णा वर्मा


जानते तो हो
नहीं पसंद मुझे
सवार होना
पाल लगी नाव में,
गवारा नहीं
मुझे हवा की मर्ज़ी
मान चलना
झेलूँ आवारगियाँ
मैं क्यों उसकी
भरोसेमंद हुईं
कब हवाएँ
बदलकर रुख़
गिरा दें पाल
छोड़ दे कहीं कश्ती
वो मझधार
जानती हूँ-तुम ना
थामोगे पतवार।