बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
जानै कौन जमानों आऔ,
गाँठन माल गमाओं
भोजन वार बरक्कत गइँयाँ
खाऔ जौन कमाऔ
अपनी मूँड जेरिया बाधें।
फिरत लोग सब धाओ।
सतजुग की वा राय चली गई,
बिन बँयै काटौ गाऔ।
ईसुर कलस कुलीनन के घर
कलजुग कलसा छाऔ।
जानै कौन जमानों आऔ,
गाँठन माल गमाओं
भोजन वार बरक्कत गइँयाँ
खाऔ जौन कमाऔ
अपनी मूँड जेरिया बाधें।
फिरत लोग सब धाओ।
सतजुग की वा राय चली गई,
बिन बँयै काटौ गाऔ।
ईसुर कलस कुलीनन के घर
कलजुग कलसा छाऔ।