आती नहीं है
अब वह उमंग
बादल को देखकर
आती नहीं है
अब वह
प्रीति
वैसी ही लौटकर
आता नहीं है
अब वह
महाकाव्य
मन के कोने पर
जान गई मैं
तुम्हारा
आना नहीं होता है।
आती नहीं है
अब वह उमंग
बादल को देखकर
आती नहीं है
अब वह
प्रीति
वैसी ही लौटकर
आता नहीं है
अब वह
महाकाव्य
मन के कोने पर
जान गई मैं
तुम्हारा
आना नहीं होता है।